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China ka pull..

चीन ने बनाया समंदर पर दुनिया का सबसे लंबा pull.. 



Image copyrightGETTY IMAGESचीन का पुल

चीन समंदर पर बने दुनिया के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन करने वाला है. ये 55 किलोमीटर लंबा है.
हांगकांग-झुहाई एंड मकाऊ ब्रिज बुधवार को आम जनता के लिए खोला जाएगा. ये नदी या समुद्र, कहीं पर भी बना दुनिया का छठा सबसे लंबा पुल होगा.
ये नया सी ब्रिज साउथ चाइना सी पर पर्ल रिवर डेल्टा के पूर्वी और पश्चिमी छोर को जोड़ेगा. झुहाई चीनी मैनलैंड पर बसा शहर है, जो अब हांगकांग और मकाऊ, दोनों स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन से जुड़ जाएगा.

Image copyrightGETTY IMAGESचीन का पुल

इस पुल में डुअल थ्री लेन है, जो समुद्र के ऊपर 22.9 किलोमीटर है जबकि 6.7 किलोमीटर समुद्र के नीचे सुरंगनुमा शक्ल में है. इसकी गहराई 44 मीटर तक है.
पुल का बाक़ी हिस्सा ज़मीन पर बना है. सुरंग के दोनों तरफ़ दो कृत्रिम द्वीप हैं. ये दोनों 10 लाख वर्ग फ़ुट के ज़्यादा इलाक़े में बने हैं.

कितना वज़न है इस पुल का?


Image copyrightGETTY IMAGESचीन का पुल

ये पर्ल रिवर एश्चुअरी के छिछले क्षेत्र में बना है ताकि पुल और सुरंग के इलाकों के बीच में ट्रांसिट मिल सके. समुद्र के नीचे जो सुरंग बनी है, वो 33 ब्लॉक से तैयार हुई है.
इनमें से हरेक 38 मीटर चौड़ा, 11.4 मीटर ऊंचा और 80 हज़ार टन वज़नी है.
इस पुल में 4 लाख टन स्टील लगा है, जो रिक्टर पैमाने पर 8 की तीव्रता वाले भूकंप को भी आसानी से झेल सकता है. ये पुल काफ़ी वक़्त भी बचाएगा.

Image copyrightGETTY IMAGESचीन का पुल

हांगकांग इंटरनेशनल एयरपोर्ट से झुहाई तक जाने में चार घंटे का वक़्त लगता है, जो अब घटकर 45 मिनट रह जाएगा.
क्वाई चुंग कंटेनर पोर्ट (हांगकांग) और झुहाई के बीच आने-जाने में लगने वाला समय साढ़े तीन घंटे से कम होकर सवा घंटे रह जाएगा.
हालांकि इस पुल की आलोचना करने वाले भी कम नहीं हैं. आलोचकों का कहना है कि इस पुल के ज़रिए चीन हांगकांग और मकाऊ पर अपने नियंत्रण का राजनीतिक संदेश देना चाहता है.
कितना ख़र्च आया है इस ब्रिज पर?

Image copyrightGETTY IMAGESचीन का पुल

हांगकांग और मकाऊ दोनों अतीत में यूरोपीय ताक़तों की कॉलोनी रहे हैं और 1990 से दशक में इनका नियंत्रण चीन को मिला है.
ये दोनों 'वन कंट्री, टू सिस्टम' सिद्धांत पर चलते हैं, जो उन्हें 50 साल के लिए चीन से स्वतंत्र अपना सरकारी तंत्र चलाने की इजाज़त देता है.
ये ब्रिज तीनों शहरों के बीच की दूरी महज़ एक घंटे पर ले आएगा और इससे आर्थिक विकास को भी बल मिलेगा.
इस परियोजना का विचार साल 2003 में आया था और दिसंबर 2009 में इसका निर्माण शुरू हुआ था. इस पर कुल 120 अरब युआन या 17.3 अरब डॉलर का खर्च आया है.
इसका ख़र्च हांगकांग, झुहाई और मकाऊ की सरकारें मिलकर उठा रही हैं.



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